लेखनी कहानी -17-Oct-2022# धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता # त्यौहार का साथ # थाईपुसम
हमारे उत्तर भारत मे ही त्यौहारों की अधिकता नही है ।भारत के दक्षिण भाग में भी बहुत से त्यौहार बड़ी श्रद्धा से मनाये जाते है ।
थाईपुसम उत्सव एक हिंदू त्यौहार है जो दक्षिण भारत के तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यही नहीं, थाईपुसम उत्सव केवल भारत में ही नहीं बल्कि यूएसए, श्रीलंका, अफ्रीका, थाईलैंड जैसे अन्य देशों में भी तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
थाईपुसम उत्सव में भगवान मुरुगन की पूजा की जाती है। थाई पुसम उत्सव तमिल समुदाय का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार किसी मेले से कम नहीं होता। थाईपुसम उत्सव हर वर्ष थाई के तमिल महीने में पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो अंग्रेजी कैलेंडर के जनवरी-फरवरी महीने में आता है।
पुसम शब्द, एक तारा को संदर्भित करता है जो इस त्योहार के समय अपनी उच्चतम स्थिति में होता है
हिन्दूओं द्वारा मनाए जाने वाले थाईपुसम उत्सव में भगवान मुरुगन की जयंती होती है। भगवान मुरुगन भगवान शिव और देवी पार्वती के छोटे पुत्र कार्तिकय हैं जिन्हें रुगन, कार्तिकेय्या, सुब्रमण्यम, संमुखा, शदानाना, स्कंद और गुहा आदि नामों से भी जाना जाता है।
यह त्योहार पौराणिक कथाओं को याद दिलाता है जब भगवान मुरुगन ने दुष्ट राक्षस को पराजित किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती ने भगवान मुरुगन को ताराकासुर नामक राक्षस और उसकी सेना को मारने का आदेश दिया था।
जिसके बाद भगवान कार्तिकेय ने बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल करते हुए तारकासुर का वध किया। इसी के फलस्वरुप यह थाईपुसम महोत्सव मनाया जाता है।
इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहते हैं। थाईपुसम उत्सव पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर दस दिनों तक चलता है। हजारों भक्त भगवान के प्रति अपनी भक्ति साबित करने के लिए मंदिरों में इकट्ठे होते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, मुरुगन शिव के प्रकाश और ज्ञान का अवतार है।
भक्त बाधाओं को दूर करने और बुराई को खत्म करने के लिए भगवान मुरुगन से प्रार्थना करते हैं। थाईपुसम त्योहार का मकसद भगवान की प्रार्थना करना और उसकी कृपा प्राप्त करना है ताकि भक्तों के बुरे गुण नष्ट हो जाएं।
तमिल समुदाय के लिए थाईपुसम एक बड़ा उत्सव है। यह दक्षिण भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कई स्थानों पर मनाया जाता है, जहां तमिल समुदाय की जड़ें होती हैं।
थाईपुसम तमिलनाडु में पलानी शहर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हजारों भक्त पवित्र थाईपुसम उत्सव के दौरान विशेष रूप से पलानी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। थाईपुसम दिन पर, भक्तों की बड़ी संख्या 'छत्रिस' (कवडी) ले जाने वाले जुलूस के साथ मुरुगन मंदिरों की तरफ बढ़ते है।
वे नृत्य के साथ आगे बढ़ते हैं, ड्रम को बजाते हैं और वेल वेल शक्ति वेल का जाप करते हैं, जिसकी आवाज जुलूस को विद्युतीकृत करती है।
कुछ भक्त अपनी जीभ और गाल में 'वेल' (छोटे लेंस) के साथ छेद करते हैं। भक्त भगवान मुरुगन को पीले और नारंगी फल एवं फूल चढ़ाते हैं। वे पीले या नारंगी रंग के रंगीन पोशाक पहनते हैं। इन दो रंगों की पहचान मुरुगन के साथ की जाती है।
भारत रंग बिरंगे त्यौहारों का देश है । शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब भारत के किसी भी कोने मे कोई त्यौहार ना हो।
आँचल सोनी 'हिया'
19-Oct-2022 11:56 PM
Bahut khoob 💐👍
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Renu
18-Oct-2022 11:30 PM
👍👍🌺🙏
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Palak chopra
18-Oct-2022 10:49 PM
Bahut khoob 🙏🌺💐
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